कलमकार हूं मैं
विषय ; मेरे अलफाज
रूप; कविता
शीर्षक; कलमकार मैं हूँ
आज़ाद है मेरे, आज़ाद मेरी कलम है।
मैं एक कलमकार हूं, इस बात पर मुझे गर्व है।
स्थिर हथियारों की शक्तियाँ I ,
मैं तो बस कलम की शक्तियां हूं।
करता है अगर कोई मेरी ,
उसे कलम से जवाब दें।
कलमकार और कलम की शक्तियां मैं हूं।
जब हिंसा साथ मेरे ,
तब तब अहिंसा से जवाब दिया है ,
कलम को हाथ में थम कर शब्दो का बाण चलता है।
किसी के दिल में घर नहीं बनाया,
सबके विचार में अपना बसाया है।
क्योंकि कलमकार मैं कलम से कलम लिखता हूं।
नहीं आता कोई लेखन शैली मुझे ,
मुझे तो बस मन के विचार प्रकट होते हैं।
मुझे गर्व है मैं एक कलमकार हूं।
और कलम की ताकतें पहचानती हूं।
कलमकार
स्वरचित ; नीर(निधि सक्सैना)
(दिल्ली)
Haaya meer
24-Nov-2022 08:50 PM
Amazing
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Sachin dev
24-Nov-2022 07:47 PM
Amazing
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Gunjan Kamal
24-Nov-2022 11:57 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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